रतलाम, अभी तक रतलाम जिला कोरोना से बचा हुआ था। इसमें प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही है किंतु विगत 3 दिनों मैं हुई दो घटनाओं ने रतलाम प्रशासन व पुलिस व्यवस्था की रेड़ मार कर रख दी है।
पहली घटना में नागदा जिला उज्जैन में कोरोना पॉजिटिव क्षेत्र में रहे चार लोग चुपके से आकर रतलाम जिले की पिपलोदा तहसील के नांदलेटा ग्राम मैं छुप कर बैठे रहे और जिला प्रशासन को इसकी भनक चार दिन बाद लगी।
दूसरी अधिक गंभीर घटना रतलाम शहर की है यहां 4 दिन पूर्व इंदौर से एक मृत व्यक्ति को लेकर इनके परिवार के लोग रतलाम में लोहार रोड पर आ गए उसके बाद इन्होंने मृत शरीर को दफना भी दिया और जिला प्रशासन को कानो कान खबर ही नहीं हुई। यह बहुत बड़ी प्रशासनिक चूक है, इस चूक के कारण आज तक किए गए lockdown के प्रयासों पर पानी फिर गया। अभी तक रतलाम मैं कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया था। रतलाम के नागरिक शांति में थे किंतु अब कोरोना का भय जिले में साए की तरह मंडरा रहा है। पर रतलाम से पहले चूक इंदौर जिला प्रशासन और m.y. हॉस्पिटल की रही किस तरह उन्होंने एक कोरोना संदिग्ध मरीज का शव डिस्चार्ज करके लापरवाही पूर्वक उनके परिजनों को सौंप दिया
उससे भी बड़े आश्चर्य की बात है कि किसी मृत व्यक्ति को इंदौर से 140 किलोमीटर दूर रतलाम तक कुछ लोग लेकर आ गए और उसे दफना भी दिया फिर भी प्रशासन को किसी प्रकार की कोई खबर नहीं हुई। इसमें इंदौर जिला प्रशासन धार जिला प्रशासन और रतलाम जिला प्रशासन की सामूहिक चूक है बताया जा रहा है कि शव को लाने में किसी फर्जी पत्रकार की भूमिका रही है क्या कोई पत्रकार चाहे वह असली ही क्यों ना हो इतना ताकतवर हो सकता है कि शव को जिले की सीमा में बगैर वैधानिक कागज के प्रवेश करने देने के लिए जिले के कलेक्टर और एसपी के निर्देशों की धज्जियां उड़ा कर जांचकर्ता अधिकारियों कर्मचारियों को प्रवेश देने के लिए मजबूर कर दे और पूरे जिले को एक नई आफत में झोंक दे। बताया जा रहा है कि इस सिलसिले में पुलिस द्वारा 28 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है उसमें धारा 269, 270,271, 291 और 447 तथा धारा 188 में प्रकरण दर्ज किया गया है। रतलाम को इन परिस्थितियों से नहीं गुजरना होता। खैर वक्त आरोप-प्रत्यारोप का नहीं होकर आत्म अवलोकन व चिंतन का है। रतलाम जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को उन लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना चाहिए जिन्होंने उक्त शव को उनके तमाम निर्देशों की धज्जियां उड़ा कर जिले में प्रवेश करने दिया और जिले में कोरोना जैसी महामारी को दावत दे कर 15 लाख लोगों की जिंदगी खतरे में डाल दी साथ ही ऐसे पत्रकार जो पत्रकारों के फर्जी कार्ड का उपयोग कर जनता प्रशासन पर रौब गांठ उन्हें ब्लैकमेल करते हैं की जानकारी जिला जनसंपर्क अधिकारी और पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाली सभी संस्थाएं तमाम फर्जी पत्रकारों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर जिले को ऐसे लोगों से मुक्त करवाए ताकि फिर कोई ऐसा दुस्साहस ना कर सके जिससे जनता की जान को खतरा पैदा हो। परम पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना है यह छोटी सी भूल कही हिमालय चूक ना साबित हो। नहीं तो कहना पड़ेगा कि लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई है। साभार खबर पक्की
इंदौर से रतलाम मृत व्यक्ति का शव को लाने में किसी फर्जी पत्रकार की भूमिका रही है क्या कोई पत्रकार चाहे वह असली ही क्यों ना हो इतना ताकतवर हो सकता है कि शव को जिले की सीमा में बगैर वैधानिक कागज के प्रवेश करने देने के लिए जिले के कलेक्टर और एसपी के निर्देशों की धज्जियां उड़ा सके