षड्यंत्र :भारत को बनाया जा रहा है
अंडाहारियों का देश
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मप्र सरकार ने हाल ही में आंगनवाड़ियों में छोटे बच्चों को अंडे खिलाने का फैसला किया है। समस्त शाकाहारी समाज के विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार अब इसके लियेहर सप्ताह 30 लाख अंडे यानि कि हर माह सवा करोड़ अंडों की खरीद करेगी। कुपोषण रोकने के नाम पर किये जा रहे इस निर्णय में, महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, लगभग रुपये 500 करोड़ का अतिरिक्त खर्चा आयेगा।
जैन समाज दिल्ली के अध्यक्ष श्री चक्रेश जैन ने
म. प्र. सरकार के इस जन विरोधी निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय के पीछे मंत्रियों द्वारा अपने व्यवसायिक हितों को फायदा पहुचाने की कोशिश हो रही है, ऎसा लग रहा है।
प्रख्यात चिकित्साविद् डॉ डी सी जैन (दिल्ली), डॉ कल्याण गंगवाल(पुणे)आदि ने *डाक्टर्स फोरम* के माध्यम से बताया कि अंडे खिलाना छोटे बच्चों में विभिन्न तरह की बीमारियों को जन्म देना है और यह उन्हें कम उम्र में ही ह्रदय रोग एवं अन्य रोगों से ग्रसित कर देगा। उन्होंने आव्हान किया कि म. प्र. सरकार को जनहित को ध्यान में रखकर तुरंत इस निर्णय को तुरंत वापिस लेना चाहिए।
समझा जा सकता है कि अस्पतालों में बीमारों की लाईन दिन प्रतिदिन क्यों बढती जा रही है? ह्रदय रोगों के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। .. जबकि देखा जाये तो ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को तो शुद्ध हवा भी उपलब्ध है, Pollution की भी समस्या नहीं है फिर भी उनमें बीमारियों की बेतहाशा वृध्दि का क्या कारण है?
*ग्लोबल आर्गनाइजेशन आॅफ दया* (GOD) के वाईस प्रेसीडेंट श्री मनोज जैन एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट, ने कहा कि यह कदम संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है क्योंकि यह अंडा न खाने वाले बच्चों के साथ भेदभाव कर उनके मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
राजस्थान सरकार के भूतपूर्व केबिनेट रैंक के मंत्री (समकक्ष) रहे श्री खिल्लीमल जैन, एडवोकेट, अलवर ने कहा कि चुनाव के घोषणा पत्र में कोई घोषणा नहीं करता है
कि वे अंडों को प्रमोट करेंगे। पर दुखद है कि सरकार बनते ही वे इस व्यापार को बढाने के लिये आगे आ जाते हैं। निश्चित ही इस निर्णय के पीछे कहीं न कहीं से तो पैसा अपना पार्ट अदा कर रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुभाष आजाद, ग्वालियर ने कहा कि *भारत सरकार* के आंकड़ों के अनुसार *2010-14* में भारत में अंडों का उत्पादन *273,960,000,000*
नंबर था जो कि 2014-18 में बढ़कर *342,980,000,000* हो गया।
यानि कि 28.19%की वृध्दि हुई। भारत में अब प्रति व्यक्ति/प्रति वर्ष *69* अंडों का उत्पादन हो रहा है। यह दुखद है कि केंद्र और प्रदेश- दोनों सरकारें लगातार अंडा की खपत को हर तरह से बढ़ावा दे रही हैं। सबसे बड़ा षड्यंत्र तो स्कूलों और आंगनवाड़ियों में बचपन से ही *मिड डे मील* में अंडे को शामिल करना है जो कि शाकाहारी बच्चों को स्कूल छोड़ने पर विवश करेगा।
सरकार यह भूल रही है कि मुर्गी पालन के लिये भी दाना चाहिये। समय चाहिये। जगह चाहिए।.. जितने ज्यादा मुर्गी पालन केंद्र बनेंगे, कृषि क्षेत्र में मजदूरों की उतनी ही कमी बढ़ती रहेगी।.. अन्य फसलों के उत्पादन पर भी नैगेटिव असर पड़ेगा।
समस्त करुणाह्रदयी सज्जनों से निवेदन है कि अगर हो सके तो निम्न पते पर एक पत्र लिखकर म. प्र. सरकार से मिड डे मील में अंडे दिये जाने का विरोध अवश्य करें।
श्री कमलनाथ
मुख्यमंत्री (म प्र सरकार)
सचिवालय
श्यामला हिल्स, भोपाल (म. प्र.)
आपके चुप रहने का मतलब है कि सरकार तक आपके मन की बात नहीं पंहुचना। अतः एक पत्र अवश्य लिखें।
*जीने भी दो,यारो*!