मालव लोक साहित्य-सांस्कृतिक मंच का गठन
मालव लोक साहित्य सांस्कृतिक मंच म.प्र.के विधिवत गठन की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा चुकी है।
इसमे 4 से 5 संरक्षक बनाये जाएंगे जो आर्थिक,मानसिक,सामाजिक रूप से सहयोग और मालवी बोली को समृद्ध बनाने में मदद कर सकेंगे।
इसमे मालवी के मूर्धन्य लेखक, साहित्यकार और नौ सीखिए भी रहेंगे।
20 वर्षों से यह मंच अपनी गतिविधियां संचालित कर रहा है।1999 में पहला विशालआयोजन *मालवी लोकगीतलोकनाट्य* विषय के नाम से शा.कन्या माध्य मिक विद्यालय परिसर देपालपुर में आयोजित किया गया था ,जो सतत साढ़े सात घण्टे चला था जिसमे ऋतु, त्यौहार,संस्कार, देश भक्ति,भजन आदि गाये जाकर *ढोला मारू, माच,*जापानी हेयर कटिंग सेलून* नाटक का प्रस्तुतिकरण किया गया था। कन्याशाला का पूरा मैदान इस आयोजन के वक्त पूरा खचाखच भरा हुआ था। उक्त आयोजन की मिक्सिंग वीडियो भी बनाई गई थी जो कई दिनों तक चेनल परचलाई गई थी। चूंकि उस वक्त मेरी एम. फ़िल. की तैयारी चल रही थी तो मुझे इस प्रतियोगिता आयोजन से सारा साहित्य मिल गया होकर इस आयोजन को *स्टेट बैंक ऑफ इंदौर* वर्तमान में *भारतीय स्टेट बैंक इंदौर नाका शाखा* ने प्रायोजित किया था। उस समय श्री दिनेश वर्मा जी शाखा प्रबंधक होकर श्री हुकम चन्द गुप्ता बैंक अधिकारी थे ने पूरे आयोजन का व्यय sbi से किया जाकर रीजनल मैनेजर फर्स्ट (सतर्कता) श्री आर.डी. यादव जी और अन्य अधिकारियों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था। खुली प्रतियोगिता के प्रतियोगियों को पुरस्कार के साथ प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किये गए थे।
मेरी एम.फिल. *(विषय-मालवी लोक गीत लोक नाट्य)* हो गई,लक्ष्य था मालवी बोली पर ही पीएचडी की जाए सो मैंने.. *मालवी बोली के साहित्य सृजकों को लेकर शोध प्रबंध लिखा--"मालवी बोली में विविध विधाओं में साहित्य सृजन एक अनुशीलन"* और 2019 के नवम्बर माह में पीएचडी अलॉट हो डॉक्टरेट की उपाधि मिल गई।
पहाड़ी लक्ष्य हांसिल करने के बाद यह लक्ष्य पूर्व में ही निर्धारित कर लिया गया था कि अब हमारी मालवा की मिठास *मालवी बोली* के विकास के लिए काम करेंगे।
इसी के तहत अब मालवी बोली के मूर्धन्य साहित्यकारों के साथ नौसिखिए साथियों को भी इसमे जोड़कर मालवी साहित्य और संस्कृति को जन-जन तक फैलाने और बोलने के लिए प्रेरित करने के साथ लिखी गई..... *कहानियां,कविताएं,गीत,ग़ज़ल, नानी-मोती वार्ताएं, हायकू, एकलौते उपन्यास-"गेरी-गेरी छांव",नाटक, आज़ादी के पूर्वव पश्चात की रचनाओं को गायन, और मंचन के माध्यम से जन-जन तक पहुंचा कर मालवी साहित्य को समृद्ध बनाने का संकल्प सभी साथियों को दिलवाना है।* इसलिए इस कल्पना को साकार करने के लिए संगठन की स्थायी सदस्यता दी जाकर विधिवत तरीके से पदाधि कारियों का निर्वाचन होगा।
विभिन्न आयोजन करने के पश्चात पत्रिका प्रकाशन किया जाएगा।और मालवी बोली का विस्तार किया जाएगा। समय-समय पर आयोजन करने के लिए पदाधि कारियों को जिम्मेदारियां भी दी जाएगी। प्रतिमाह एक आयोजन भी किया जाएगा। जो भी साथी इस संगठन से जुड़ने के इच्छुक है वे अपनी सहमति प्रदान करें। इसमे *गायक,वादक,मंच कलाकार,लेखक,सामाजिक कार्यकर्ता* कोई भी जो मालवी बोली के चिंतन को समझ कर उसकी प्रगति के लिए कार्य करने के इच्छुक है वे इससे जुड़ सकते है। जल्द ही एक बैठक आहूत की जा रही है जिसमे इच्छुक कोई भी साथी आ सकते है।
*ऊपर तो हिंदी में लिख्यों है।* सगळा भय-बैण होण का वाते यो झुंड सजायो है,इमे हग्ला जणा के तेड़ी रियाँ हां। इमे जो हमारी मालवी बोली को रच्छक बन्नो चावे,और इका में मंच पे नाटक करवा की इच्छा राखे है,वी सगळा जुड़ी जव जो। इके चलाने सारू रुपया-पैसा भी लगेगा तो वी हम सगळा आजीवन सदस बनीं ने पूरती करांगा। ने और कय ख़रच आवेगों तो उको रस्तो भी निकालां गा ने कारकरम भी करांगा।
हगळी वात तो इना झुंड में नि होवेगा,पण वात वताड़ दू, यो मन मे अयग्यो। एक जाजम बिछावांगा ने हम-सब जणा बैठी ने इको संगठन बणय ने सिरी गनेश करांगा।
*डॉ. विनोद वर्मा*
*भौली बैण,राम शर्मा'परिंदा*
*इतरा जणा से या तो वात हुईगी या चाली री है। या करणी है।*
मालवी वुड मुम्बई,दादा नरहरि पटेल,बड़ी बैण डॉ.शशि निगम, विजय दादा मंडोवरा,ओमप्रकाश जी पंड्या, देवदत्त दुबे,केसी.चौहा न मनीष सिसौदिया,धर्मेन्द्र राठौर, नारायण चौहान,चमन मारू रत लाम,संजू गौड़-नगरा,सावित्री महंत उज्जैन,पायल परदेशी, कैलाश चौधरी,बी.एल. राठवे,(दिलीप जैन,अरविंद उपाध्याय-राजस्थान-मालवा क्षेत्र),नन्दलाल जी-नीमच, बांकेलाल जी मन्दसौर अनिल सोलंकी भोपाल आदि-आदि । नरा जणा का कॉल अय रियाँ है,पूरी रूपरेखा उनके वताड़ी रियाँ हां।
सम्पर्क 9098333397वा.न.
8319387179