⏩ चहेते अखबारों को विज्ञापन देने का नया तरीका निकाला सरकार और जनसम्पर्क विभाग ने ।।
भोपाल। अपने समाचारों को प्रमुखता से छपवाने के लिए बडे बेनर वाले अखबारों में विज्ञापन देने का अब सरकार और जनसम्पर्क विभाग ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला है,भोपाल के बडे दैनिक समाचार पत्रों मे प्रकाशित हो रहे एक पेज के विज्ञापन में डिसप्ले नम्बर के स्थान पर समाचार पत्र मार्केटिंग का नाम लिख रहे है,इससे दूसरे समाचार पत्रों की आँखो मे धूल झोंकते हुए यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि यह विज्ञापन स्वयं समाचार पत्रों ने अपनी ओर से प्रकाशित किये है। जबकि सरकार अपनी वाहवाही करने के लिए खुद सरकार जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से इन चुनिन्दा अखबारों को अलग अलग तरीके से विज्ञापन जारी कर रहा है। यदि दूसरे अखबार वाले विज्ञापन के लिए जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों से निवेदन करते है तो उन्हें बजट का बहाना बना कर टरका दिया जाता है। यही रवैया विज्ञापन बिलों के भुगतान मे भी अपनाया जा रहा है,जिन अखबारों का एक साल से अधिक समय से भुगतान नहीं हुआ है उन्हें बजट का बहाना बना कर भुगतान रोका जा रहा है जबकि बडे अखबारों को बराबर भुगतान होता रहता है। इस भेदभाव पूर्ण नीति के खिलाफ पत्रकारों मे रोष व्याप्त है। प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसियेशन (पीएमजेए) के सागर संभाग अध्यक्ष काशीराम रैकवार के नेतृत्व मे प्रदेश सरकार एवं जनसंपर्क विभाग की भेदभावपूर्ण नीतियो के ख़िलाफ़ जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा और जनसंपर्क सचिव पी नरहरि का पुतला देहन होगा, वही पीएमजेए के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज भारतीय ने सरकार एवं जनसंपर्क विभाग की इस दोषपूर्ण नीति का विरोध करते हुए कहा है कि यह लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को कुचलने की साजिश है ।
-रघु मालवीय भोपाल
मो.9993312022