आज है सीता अष्टमी, मनचाहा वर पाने के लिए ऐसे करें पूजा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जी प्रकट हुई थी। इसी खुशी में हर साल सीता जयंती या जानकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष सीता जयंती 16 फरवरी दिन रविवार को मनाई जा रही है। सीता अष्टमी का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए खासा महत्व रखता है। इस खास दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं। इतना ही नहीं जिन लड़कियों को शादी में बाधा आ रही हो वो भी इस व्रत को रखकर मनचाहे वर की प्राप्ति कर सकती हैं। आइए जानते हैं आखिर कैसे किया जाता है यह व्रत।
सीता जयंती का महत्व-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सीता जयंती का व्रत करने से वैवाहिक जीवन से जुड़े सभी कष्टों का नाश होकर उनसे मुक्ति मिलती है। जीवनसाथी दीर्घायु होता है। साथ ही इस व्रत को करने से समस्त तीर्थों के दर्शन करने जितना फल भी प्राप्त होता है।
कैसे मनाएं सीता अष्टमी पर्व-
-सीता अष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर माता सीता और भगवान श्रीराम को प्रणाम कर व्रत करने का संकल्प लें।
-पूजा शुरू करने से पहले पहले गणपति भगवान और माता अंबिका की पूजा करें और उसके बाद माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करें।
-माता सीता के समक्ष पीले फूल, पीले वस्त्र और और सोलह श्रृंगार का सामान समर्पित करें।
-माता सीता की पूजा में पीले फूल, पीले वस्त्र ओर सोलह श्रृंगार का समान जरूर चढ़ाना चाहिए।
-भोग में पीली चीजों को चढ़ाएं और उसके बाद मां सीता की आरती करें।
-आरती के बाद श्री जानकी रामाभ्यां नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
-दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और दान करें।
-शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें।
अगला लेख: Kalashtami 2020: आज है कालाष्टमी, इस दिन भूलकर भी न करें ये काम